व्योमवर्गः - श्लोक १६७ ते १७२

अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।


१६७ - द्योदिवौ द्वे स्त्रियामभ्रं व्योम पुष्करमम्बरम्

१६८ - नभोऽन्तरिक्षं गगनमनन्तं सुरवर्त्म खम्

१६९ - वियद् विष्णुपदं वा तु पुंस्याकाशविहायसी

१७० - विहासयोऽपि नाकोऽपि द्युरपि स्यात् तदव्यम्

१७१ - तारापथोऽन्तरिक्षं च मेघाध्वा च महाबिलम्

१७२ - विहायाः शकुने पुंसि गगने पुंनपुंसकम्

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Last Updated : March 29, 2010

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