व व्याकरण व्याकरणमहाभाष्य Folder Page Word/Phrase Person | Show All महाभूतविवेक प्रकरणम् - श्लोक ७६ ते ८० वामन नरहरी शेष उर्फ वामन पंडित (इ.स.१६३६ ते १६९५) हे १७ व्या शतकात होऊन गेलेले प्रख्यात मराठी कवी होते. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श - अर्थालंकार काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उपमा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनन्वय काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उपमेयोपमा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रतीप काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - रुपक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - परिणाम काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उल्लेख काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - स्मरण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - भ्रांतिमान् काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - संदेह काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अपन्हुति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उत्प्रेक्षा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अतिशयोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - तुल्ययोगिता काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - दीपक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - आवृत्तिदीपक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रतिवस्तूपमा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - दृष्टांत काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - निदर्शना काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - व्यतिरेक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - सहोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विनोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - समासोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - परिकर काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - श्लेष काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अप्रस्तुतप्रशंसा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रस्तुतांकुर काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - पर्यायोक्त काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - व्याजस्तुती काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - व्याजनिंदा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - आक्षेप काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विरोधाभास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विशेषोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विभावना काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - असंभव काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - असंगती काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विषम काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - सम काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विचित्र काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अधिक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अल्प काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अन्योन्य काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विशेष काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - व्याघात काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - कारणमाला काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - एकावली काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - मालादीपक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - सार काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - यथासंख्य काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - परिवृत्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - पर्याय काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - परिसंख्य काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विकल्प काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - समुच्चय काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - कारदीपक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - समाधि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रत्यनीक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - काव्यार्थपत्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - काव्यलिंग काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अर्थांतरन्यास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विकस्वर काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रौढोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - संभावना काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - मिथ्याध्यवसिति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - ललित काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रहर्षण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विषादन काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उल्लास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अवज्ञा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनुज्ञा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - लेश काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - मुद्रा काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - रत्नावली काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - तद्रूण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - पूर्वरुप काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अतद्रूण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनुगुण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - मीलित काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - सामान्य काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उन्मीलीत काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विशेषक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उत्तर काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - सूक्ष्म काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - पिहित काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - व्याजोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - गूढोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विवृतोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - युक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - लोकोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - छेकोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - वक्रोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - स्वभावोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - भाविक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उदात्त काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अत्युक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - निरुक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रतिषेध काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - विधि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - हेतु काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रत्यक्षप्रमाण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनुमान काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - उपमानप्रमाण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - शब्दप्रमाण काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अर्थापत्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनुपलब्धि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - संभव काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - ऐतिह्य काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - अनुकूल काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - आशी काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - रसवत् काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - प्रेय काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - ऊर्जस्वित् काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - समाहित काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - भावोदय काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - भावसंधि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - भावशबलता काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - संसृष्टि काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - संकर काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्थालंकार - चेतनगुणोक्ति काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श - शब्दालंकार काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - छेकानुप्रास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - वृत्यनुप्रास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - यमक काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - श्रुत्यनुप्रास व अंत्यानुप्रास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - पुनरुक्तवदाभास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - लाडानुप्रास काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दालंकार - चित्र काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श - अनुक्रमणिका काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श - अलंकारांचें वर्गीकरण. काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: अलंकारदर्श - कठीण शब्दांचा कोष काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात. Type: | Rank: 0 | Lang: मराठी व्याकरण व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - अनुक्रमणिका व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - लिंगविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - वचनविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - सर्वनामविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - विशेषणविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - क्रियापदविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुच्चारित अनुस्वार - विभक्तिविचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभक्तिसंबधी अनुस्वार तृतीया व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभक्तिसंबधी अनुस्वार षष्ठी व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभक्तिसंबधी अनुस्वार सप्तमी व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: द्वितीया, चतुर्थी, पंचमी, संबोधन विभक्तीसंबंधीं अनुस्वार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: कर्ता, कर्म ओळखणें व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: शुद्धलेखन - जोडाक्षरें व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: प्रयोग - विचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: प्रयोगासंबंधीं अनुस्वार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुस्वारासंबंधीं व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: शुद्धलेखन - र्हस्व - दीर्घ विचार व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: शुद्धलेखन - विरामचिन्हें व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: शब्दांच्या लिंगाविषयी मतभिन्नता व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्याकरण चालविणें व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: काही वाक्यांचें व्याकरण व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सद्वृत्तमुक्तावली निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली Type: | Rank: 0 | Lang: प्रस्तावना निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: संज्ञाप्रकरणम् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: आर्याप्रकरणम् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: वर्णवृत्तप्रकरणम् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: उष्णिग् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अनुष्टुप् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: बृहती निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: पंक्ति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: त्रिष्टुप् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: जगती निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अतिजगती निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: शक्करी निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अतिशक्करी निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अष्टि निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अत्यष्टि निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: धृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अतिधृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: कृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: प्रकृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: आकृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: विकृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: संस्कृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अतिकृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्कृति निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: अर्धसमवृत्तप्रकरणम् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. Type: | Rank: 0 | Lang: विषमवृत्तम् निरंजन माधव लिखित सद्वृत्तमुक्तावली. 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Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ११ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण १९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २१ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण २९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३१ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ३९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ४० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमालंकार - लक्षण ४१ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - उपमेयोपमा अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उपमेयोपमा अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - अनन्वय अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनन्वय अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनन्वय अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनन्वय अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनन्वय अलंकारः - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अनन्वय अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - असम अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असम अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असम अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - उदाहरण अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उदाहरणालंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उदाहरणालंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उदाहरणालंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. 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Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - रूपक अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण ११ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण १९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रूपक अलंकार - लक्षण २० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - परिणाम अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: परिणाम अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: परिणाम अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: परिणाम अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: परिणाम अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - ससंदेहालंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: ससंदेहालंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: ससंदेहालंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: ससंदेहालंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: ससंदेहालंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: ससंदेहालंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. 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Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - उल्लेखालंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उल्लेखालंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - अपह्नुति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अपह्नुति अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - उत्प्रेक्षा अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण १० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण ११ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण १२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. 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Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - तुल्ययोगिता अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - दीपक अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: दीपक अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - प्रतिवस्तूपमा अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: प्रतिवस्तूपमा अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. 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Type: | Rank: 0 | Lang: निदर्शन अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - व्यतिरेक अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्यतिरेक अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - सहोक्ति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: सहोक्ति अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - विनोक्ति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विनोक्ति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विनोक्ति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - समासोक्ति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: समासोक्ति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: समासोक्ति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: समासोक्ति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. 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Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ९ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण १० रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण ११ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: श्लेष अलंकार - लक्षण १२ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - पर्यायोक्त अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: पर्यायोक्त अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - व्याजस्तुति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्याजस्तुति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्याजस्तुति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्याजस्तुति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: व्याजस्तुति अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - आक्षेप अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: आक्षेप अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: आक्षेप अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: आक्षेप अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: आक्षेप अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: आक्षेप अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - विरोधमूलक अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विरोधमूलक अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - विभावना अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विभावना अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - विशेषोक्ति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विशेषोक्ति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विशेषोक्ति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विशेषोक्ति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विशेषोक्ति अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - असंगति अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असंगति अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असंगति अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असंगति अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असंगति अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: असंगति अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - विषम अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण १ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण २ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ३ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ४ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ५ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ६ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ७ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: विषम अलंकार - लक्षण ८ रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: रसगड्गाधर - सम अलंकार रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे. Type: | Rank: 0 | Lang: | Show All Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP