म मंत्र शास्त्र | Show All मंत्रप्रकरण - शारदादेवी मंत्र " श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते. Type: | Rank: 0 | Lang: मंत्रप्रकरण - तीव्रबुद्धिकरण मंत्र " श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते. Type: | Rank: 0 | Lang: मंत्रशास्त्र - नियम व विधी " श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते. Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - द्वितीयः तरङ्गः इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है। Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - तृतीयः तरङ्गः इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है। Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - चतुर्थः तरङ्गः इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है। Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - पञ्चमः तरङ्गः इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है। Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - षष्ठः तरङ्गः श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है । Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - सप्तमः तरङ्गः श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है । Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - अष्टमः तरङ्गः श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है । Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - नवमः तरङ्गः श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है । Type: | Rank: 0 | Lang: मन्त्रमहोदधिः - दशमः तरङ्गः श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है । Type: | Rank: 0 | Lang: मंत्रशास्त्र देवताओं की उपासना करनेवालोंको सारी सिद्धियाँ प्राप्त करनेके लिये मंत्र शास्त्र का उगम हुआ है। Type: | Rank: 0 | Lang: विविध मंत्र विविध समस्यांसाठी मंत्र Type: | Rank: 0 | Lang: ५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी. 51verses for chanting and contemplation.५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी. Type: | Rank: 0 | Lang: | Show All Folder Page Word/Phrase Person Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP