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श्री गायत्री जी - जयति जय गायत्री माता, जयत...
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि हैAarti, ãrti, arathi, or ãrati is a Hindu ritual
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श्री गायत्री चालीसा - ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्...
चालीसा, देवी देवतांची काव्यात्मक स्तुती असून, भक्ताच्या आयुष्यातील सर्व संकटे दूर होण्यासाठी मदतीची याचना केली जाते.
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अघनाशकगायत्रीस्तोत्र - आदिशक्ते जगन्मातर्भक्तानु...
देवी आदिशक्ती माया आहे. तिची अनेक रूपे आहेत. जसे ती जगत्कल्याणकारी तसेच दुष्टांचा संहार.करणारीही आहे.
The concept of Supreme mother Goddess is ..
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गायत्री स्तोत्रे
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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सर्वदेवता गायत्रीमन्त्राः - श्री सवितृगायत्री ऊँ भूर्...
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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श्री गायत्रीस्तोत्रम् - आदिशक्ते जगन्मातः भक्तानु...
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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गायत्री रामायणम् - तत्सवितुर्वरॆण्यं भर्गो द...
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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गायत्री स्तोत्र व माहात्म्य
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।The goddess Gayatri is considered the veda mata, the mother of all Vedas
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अघनाशकगायत्रीस्तोत्र - आदिशक्ते जगन्मातर्भक्तानु...
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।The goddess Gayatri is considered the veda mata, the mother of all Vedas
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श्री गायत्री शाप विमोचनम् - शाप मुक्ता हि गायत्री चतु...
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।The goddess Gayatri is considered the veda mata, the mother of all Vedas
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श्री गायत्री सहस्त्रनामावलिः
हिंदू देवी देवतांची एक हजार नावे म्हणजेच सहस्त्रनामावली. हिंदू धर्मिय रोज सकाळी संध्याकाळी या नावांचा जप करतात.
A sahasranamavali is a type of H..
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श्री गायत्री सहस्त्रनामस्तोत्रम्
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत.Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are int..
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गायत्र्यष्टकम् - शंकराचार्यविरचितम् ॥ विश्...
देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.Traditionally,the ashtakam is recited ..
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श्रीगायत्रीपुरश्चरणपद्धतिः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥
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श्रीगायत्रीपुरश्चरणपद्धतिविषयानुक्रमणिका
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपुरश्चरणपद्धतिप्रारंभः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ भूम्यादिदेवानामावाहनं पूजनञ्च
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ संक्षेपतः सार्वत्रिकी कुण्डमण्डपादीतिकर्तव्यता
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ कुण्डरचनाप्रकारः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ प्राच्योदीच्याङ्गसहितः प्रायश्चित्तप्रयोगः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ गोदानादिपूर्वोत्तराङ्गसहितः प्रायश्चित्तहोमः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ आज्येन प्रधानहोमः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथोत्तराङ्गप्रायचित्तम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ नूतनयज्ञोपवीतधारणविधिः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ गायत्रीपुरश्चरणमुहूर्तादिकम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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वृतानां ब्राह्मणानामपि धर्मा लक्षणानि च
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ पुरश्चरणलक्षणं युगभेदेन न्यूनाधिकजपसंख्याप्रकारश्च
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अथ गायत्रीपुरश्चरणभेदा होमद्रव्याणि च
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निर्णयसंग्रहः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ कर्मारम्भप्रतिबन्धकनिमित्तनिर्णयः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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श्र्यादिसप्तवसोर्धारदेवतापूजनप्रयोगः
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अथाचाराद्वैश्चदेवसङ्कल्पः
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अथायुष्यमंत्रजपः
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अथ साङ्कल्पिकनान्दीश्राद्धप्रयोगः
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अथ आचार्याद्यृत्विग्वरणप्रयोगः
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अथ वरणश्राद्धम्
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अथ आचार्यादीनां मधुपर्कार्चनप्रयोगः
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अथ आचार्यादिपूजनपूर्वकप्रार्थनाप्रयोगः
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अथ रेखाकरणं पूजनञ्च
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अथ स्थापनक्रमेण ब्रह्मादीनां पायसबलिदानम्
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शिख्यादिवास्तुमण्डलदेवतापूजनप्रयोगः
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अथयोगिनीदेवतापूजनप्रयोगः
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अथ जलयात्राप्रयोगः
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अथ सप्तजलजीवस्थलमातृकाणां सागराणाञ्च स्थापनपूजनप्रयोगः
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अथ इन्द्रादीनां पूजनपूर्वकबलिदानप्रयोगः
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अथ पात्रासादनपूर्वकश्रीगायत्रीदेवीपूजनप्रयोगः
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अथ भूतशुद्धिः
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अथ प्राणप्रतिष्ठाप्रयोगः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ अजपाजपसङ्कल्पः
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अथ अन्तर्मातृकान्यासः
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अथ बहिर्मातृकान्यासः
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अथ गायत्रीमहान्यासाः
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ततः श्रीगायत्रीदेव्या बहिःपूजामारभेत
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गायत्रीकवचं
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अथ गायत्रीमन्त्रनित्यजपविधिः
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अथ कुण्डस्थदेवतापूजनप्रयोगः
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अथ पञ्चभूसंस्कारपूर्वकाग्नीप्रतिष्ठापनप्रयोगः
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अथ वैकल्पिकपदार्थावधारणादिकम्
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अथ कुशकुण्डिकाप्रयोगः
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अथ प्रधानहोमः
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अथ होमदशांशेन तर्पणप्रयोगस्तर्पणदशांशेन मार्जनप्रयोगश्च
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ स्थापितदेवतानां होमः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ वास्तुमण्डलदेवतानां होमः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीसमन्वितश्रीगजाननादिचतुःषष्टियोगिनीनां होमः
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अथैकपञ्चाशत्क्षेत्रपालदेवतानां होमः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ सर्वतोभद्रमण्डलदेवतानां होमः
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अथ श्रीगायत्र्याः पीठदेवतानां होमः
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अथ यन्त्रदेवतानां होमः
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अथ श्रेयःसंपादनादिकम्
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अथ अवभृथस्नानविधिः
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अथ घृतपात्रदानादिकम्
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अथ देवताविसर्जनं पीठादिदानञ्च
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श्रीसूर्याथर्वशीर्षम्
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श्रीगायत्रीसहस्रनामावलिः
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अथ गायत्रीध्यानम्
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श्रीचाक्षुषोपनिषद्
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श्रीगायत्रीमानसपूजा
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श्रीगायत्र्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्
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श्रीगायत्रीपुरश्चरणविधिः
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अथ विश्वामित्रकृत श्रीगायत्रीकल्पः
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अथ श्रीगायत्र्युपनिषत्
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अथ श्रीगायत्रीपद्धतिः
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अथ श्रीगायत्रीतत्त्वम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीकवचम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपंजरस्तोत्रम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीस्तवराजः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपटलम्
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अष्टाविंशतिगायत्र्यः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीसहस्रनामस्तोत्रम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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