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रामधारी सिंह "दिनकर"
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - कथावस्तु
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग १
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग २
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग ३
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग ४
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग ५
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग ६
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - प्रथम सर्ग - भाग ७
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग १
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग २
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ३
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ४
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ५
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ६
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ७
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ८
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ९
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग १०
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग ११
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग १२
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - द्वितीय सर्ग - भाग १३
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - तृतीय सर्ग - भाग १
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - तृतीय सर्ग - भाग २
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - तृतीय सर्ग - भाग ३
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - तृतीय सर्ग - भाग ४
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रश्मिरथी - तृतीय सर्ग - भाग ५
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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रामधारी सिंह "दिनकर" - परिचय
राष्ट्र कवि "दिनकर" आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
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गीत और कविता
हिन्दी कवियोंने आधी शताब्दीसे भी अधिक लंबे समयतक उनकी रचनाकर्मसे आधुनिक हिन्दी कविता समृद्ध की है।
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ग्राम्या
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम नारी
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - कठपुतले
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - वे आँखें
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - गाँव के लड़के
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - वह बुड्ढा
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - धोबियों का नृत्य
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम वधू
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम श्री
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - नहान
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - गंगा
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - चमारों का नाच
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - कहारों का रुद्र नृत्य
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - कठपुतले
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - चरखा गीत
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - महात्माजी के प्रति
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - राष्ट्र गान
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम देवता
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - संध्या के बाद
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - खिड़की से
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - रेखाचित्र
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - दिवा स्वप्न
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - सौन्दर्य कला
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - स्वीट पी के प्रति
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - कला के प्रति
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - आधुनिका
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - मजदूरनी के प्रति
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - नारी
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - द्वन्द्व प्रणय
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - १९४०
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - सूत्रधर
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - संस्कृति का प्रश्न
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - सांस्कृतिक ह्रदय
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - भारत ग्राम
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - स्वप्न और सत्य
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - बापू !
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - अहिंसा
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - पतझर
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - उद्बोधन
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - नव इंद्रिय
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - कवि किसान
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - वाणी !
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - नक्षत्र
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - आँगन से
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - याद
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - गुलदावदी
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - विनय
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - स्वप्न पट !
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम कवि
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम दृष्टि
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम चित्र
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम युवती
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - पनघट पर
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत - स्त्री
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंतकी कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं,तथा उनकी कविताओं में प्रगतिवाद और विचारशीलता भी है। उनकी रचनाये मानव ..
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सुमित्रानंदन पंत - परिचय
सुमित्रानंदन पंतकी कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं,तथा उनकी कविताओं में प्रगतिवाद और विचारशीलता भी है। उनकी रचनाये मानव कल्या..
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कविता संग्रह - चैती
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कर्म की भाषा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - असमंजस
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - पवन शान्त नहीं है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - इच्छा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - नन्हे
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - बात क्या है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - झापस
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - रजनीगंधा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कातिक का पयान
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - क्षण की खिड़की
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - मधुमालती
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कवि शमशेर से
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - अच्छाई
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - स्वर
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - हृदय की लिपि
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - अनुराग
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - वसंत
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - अधिभूत
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - टूटा हृदय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - जो है सो है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - घटना
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - दुखों की छाया
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - पयोद और धरणी
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कठिन यात्रा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - आकांक्षा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - प्रकाश के रंग
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कला के अभ्यासी
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - विनिमय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - मार्ग
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - सारनाथ
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - विपर्याय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - कह नहीं सकता
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - ऐसा ही था
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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कवी त्रिलोचन - मैं कृतज्ञ हूँ
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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त्रिलोचन
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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त्रिलोचन - परिचय
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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परिमल
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - प्रेयसी
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - मित्र के प्रति
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग १
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग २
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ३
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ४
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ५
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ६
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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सूर्यकांत त्रिपाठी - परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है।
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गीतापद्यमुक्ताहार
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - मंगलाचरण
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय पहिला
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय दुसरा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय तिसरा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय चवथा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय पाचवा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय सहावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय सातवा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय आठवा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय नववा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय दहावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय अकरावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय बारावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय तेरावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय चौदावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय पंधरावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय सोळावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय सतरावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्रभाषाचित्रमयूर’ ही पदव..
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गीतापद्यमुक्ताहार - अध्याय अठरावा
‘ गीतापद्यमुक्ताहार ’ या ग्रंथाची आवृत्ती वाचून श्रीमज्जगद्गुरू शंकरचार्य मठ श्रृंगेरी शिवगंगा यांनी पुस्तककर्त्यास ‘ महाराष्ट्..
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मयूर भरत्सार - आदिपर्व
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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आदिपर्व - भीष्मद्रोणसमागम
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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आदिपर्व - बकासुरवध पूर्वार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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आदिपर्व - बकासुरवध उत्तरार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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आदिपर्व - द्रौपदीस्वयंवर
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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मयूर भरत्सार - सभापर्व
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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सभापर्व - राजसूय यज्ञ
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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सभापर्व - शिशुपालवध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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सभापर्व - दुर्योधनाचा द्यूतनिश्चय
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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मयूर भरत्सार - वनपर्व
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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वनपर्व - द्रौपदीविलाप
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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वनपर्व - किरातार्जुनयुद्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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वनपर्व - अर्जुनविलोभन
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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वनपर्व - नलदमयंतीवियोग
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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वनपर्व - यक्षप्रश्न
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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मयूर भरत्सार - विराटपर्व
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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विराटपर्व - कीचकवध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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विराटपर्व - विराटभ्रमनिरास
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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विराटपर्व - अभिमन्यु विवाह
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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मयूर भरत्सार - उद्योगपर्व
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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उद्योगपर्व - अर्जुनविजय
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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उद्योगपर्व - धर्मराजाची सामेच्छा
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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उद्योगपर्व - कर्णभेदप्रयत्न पूर्वार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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उद्योगपर्व - कर्णभेदप्रयत्न उत्तरार्ध
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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उद्योगपर्व - भीष्मप्रतिज्ञा
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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मयूर भरत्सार
मयूर भरत्सार काव्यात महाभारतातील प्रसंगांचे अति सुंदर वर्णन केलेले आहे.
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श्री रामदासस्वामीं विरचित - प्रासंगिक कविता
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - रामरूपी भूत
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - आत्मचरित्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - डफगाणें
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - शिवाजी महाराजांस पत्र.
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - राजधर्म
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - क्षात्रधर्म
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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सेवकधर्म - समास १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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सेवकधर्म - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - विठ्ठलरूप राम
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - मातुश्रीस पत्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - श्रेष्ठ यांस पत्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता -बाग प्रकरण
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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कारखाने प्रकरण - समास १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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कारखाने प्रकरण - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - श्रेष्ठांस पत्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - मारुतीची प्रार्थना
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - सावधता प्रकरण
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - उत्तर
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - ब्रह्मपिसा
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - खंडोबाची आरती
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - डफगाणें
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - श्रेष्ठांच्या मुलांस उपदेश
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - प्रतापगडच्या भवानी देवीचें स्तोत्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - संभाजीस उपदेश
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - खंडोबाची आरती
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - डफगाणें
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - श्रेष्ठांच्या मुलांस उपदेश
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - भवानी देवीचें स्तोत्र
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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प्रासंगिक कविता - संभाजीस उपदेश
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - प्रथम: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - द्वितीय: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - तृतीय: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - चतुर्थ: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - पंचम: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - षष्ठ: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - सप्तमः समासः
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - अष्टम: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - नवम: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - दशम: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अन्वयव्यतिरेक - एकादश: समास:
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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नित्यनैमित्तिक विधिसंग्रहसोपान - भूपाळी नद्यांची
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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नित्यनैमित्तिक विधिसंग्रहसोपान - भूपाळी रामाची
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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नित्यनैमित्तिक विधिसंग्रहसोपान - ध्यान
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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नित्यनैमित्तिक विधिसंग्रहसोपान - सगुणध्यान
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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नित्यनैमित्तिक विधिसंग्रहसोपान - निर्णुंण ध्यान
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ३
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ६
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ७
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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मानसपूजा - प्रकरण ८
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास ३
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास ५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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अंतर्भाव - समास ६
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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आत्माराम - समास १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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आत्माराम - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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आत्माराम - समास ३
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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आत्माराम - समास ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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आत्माराम - समास ५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचसमासी - समास १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचसमासी - समास २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचसमासी - समास ३
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचसमासी - समास ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पंचसमासी - समास ५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक १
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक २
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ३
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ४
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ५
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ६
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ७
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - अष्टक ८
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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करुणाष्टकें - सवाया
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - रविवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - सोमवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - मंगळवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - बुधवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - गुरुवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - शुक्रवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वारांची गीते - शनिवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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जनस्वभाव - गोसावी
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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दिवटा
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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पिंगळा
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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सुंदरकांड
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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कृष्णाजी नारायण आठल्ये
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - प्रस्तावना
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शार्दूलविक्रीडित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मालिनी]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [इंद्रवजा]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [भुजंगप्रयात]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [इंद्रवज्रा]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शार्दूलविक्रीडित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शार्दूलविक्रीडित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [भुजंगप्रयात]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शिखरिणी]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [मंदाक्रांता]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [पृथ्वीवृत्त]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शार्दूलविक्रीडित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [स्त्रग्धरा]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [द्रुतविलंबित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [शार्दूलविक्रीडित]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [पृथ्वीवृत्त]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [भुजंगप्रयात]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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तिकुडचें पहिलें पत्र - श्लोक [स्त्रग्धरा]
हे पुस्तक ' केरळकोकिळ ' या मासिकात प्रथम १९१७ साली छापण्यांत आले.
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नव कवी
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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प्रा. पुरुषोत्तम पाटील - मंद वाहताना वारा हले हालक...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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वर्षा चोबे - दहशतीच्या पटावर समोरासमोर...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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लक्ष्मीनारायण बोल्ली - मी एक वेडा पाहिला तो रस्त...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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अनिरूद्ध अभ्यंकर - तुझी आठवण वाळूवरती गिरवाव...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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आसावरी काकडे - खचाखच भरलेल्या या बेसुमा...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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मेघा गायकवाड - तिला जगणं अधिक लांबलचक वा...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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रेणू पाचपोर - नुकताच पाऊस पडून गेलेला ...
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अनिल दीक्षित - जिच्या अक्षरांना रूप भव्य...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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केशव सखाराम देशमुख - दु:ख कोणत्या रंगात मिसळता...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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गजानन मते - झाडंझुडं झाली मुकी आणि प...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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प्रज्ञा दया पवार - ’आठ मार्चच कशाला आता प्र...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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वैशाली मोहिते - किती तर्हा असतार नाही बा...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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हेमंत गोविंद जोगळेकर - मुलाला असतं कुतूहल, बाबां...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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मीनाक्षी पाटोळे - आमच्या जुन्या पडक्या वाड्...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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सतीश सोळांकूरकर - नेहमीपेक्षा ती सकाळी लौकर...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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प्रभाकर शाळिग्राम - देवळात या देवापाशी एकटाच ...
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वि. म. बोते - ही पत्नी, माता, भगिनी अशी...
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मनोज बोरगावकर - तू ईनमीन वर्षादीडवर्षाचा ...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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दया घोंगे - आषाढाच्या धारांमधुनी अवचि...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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प्रकाश हरी कार्लेकर - रस्त्यांवरून चालताना मुल...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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शब्बीर दाऊद - अंधारल्या रातीत दिव्याच्य...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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बा. भा. सोनवणे - मी आहे एकनिष्ठ शेतीमातीश...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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प्रफ़ुल्ल पाटील - प्राचीनातल्या अवकाशांतरी ...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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कमलाकर देसले - तुझ्या - माझ्यातल्या दुरा...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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संदीप वाकोडे - कितीतरी दिवसांनी काल स्वत...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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फ़ेलिक्स डिसोजा - कुणाच्याच कसं आलं नाही लक...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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दिगंबर जोशी - आणि तू वृद्धाश्रमवासी मला...
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प्रा. ज्योती जोशी - सगळी झाकपाक आवरून निवांत ...
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इंद्रजित उगले - जवळ माझ्या कुणी टिकत नाही...
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वृंदा दिवाण - सध्या हे असं का होतंय, मल...
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प्रमोद सोनार - हल्ली गावालाही पडू लागलीय...
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प्रणव सखदेव - म्हणजे आता बघ हं तिथून नि...
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राजीव शास्त्री - ती पहाटेच उठते योग आणि प्...
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प्रा. रायभान दवंगे - पाऊस हल्ली भ्रष्टाचारी झा...
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श्यामसुंदर मुळे - ...त्या रस्त्याच्या आडाबा...
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भिमसेन देठे - अगं, आता कशाला या गोष्टी ...
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मेघना वाहोकार - अजून पुरतं उजाडलेलंही नसत...
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अमोल अहेर - अर्थबोध व्हायचा नाही मला ...
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प्रसाद कुलकर्णी - हा मेघ असा दाटुन येतो, बर...
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मारुती कटकधोंड - तव्यावर टाकावी भाकर अन् व...
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उमेश मोहिते - माझ्या मित्रा, कुणाकडून त...
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वैभव कुलकर्णी - वेदनांची मिरास आहे हा... ...
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सुनील तांबे - व्हीटी, फ़ाउंटन, युनिव्हर्...
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अरुण तीनगोडे - मला माझंच विस्मरण होताना ...
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इंदिरा दास - नतमस्तक तुझ्या चरणी प्रभू...
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पूर्वी - या पृथ्वीच्या रंगपटावर रो...
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शुभदा कामथे - दैवाचे फ़िरले फ़ासे, होत्या...
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सानिका राऊळ - आकाशाला नाही ओढ माझ्या हळ...
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समरेंद्र निंबाळकर - दु:खाचा ठणका ओला कधीच संप...
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आर. एम. मालुंजकर - देह मानवाचा मिळे एकदाच वा...
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श्रीपाद भालचंद्र जोशी - गांधींबद्दल बोलतच नाही आह...
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ज्योती कपिले - आताशा मी टाळतेच माझं पुस्...
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मनोहर आंधळे - तुझं-माझं नातं ज्योती-पणत...
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प्रमोद बेजकर - आंधळ्या या लोकशाहीला दळाव...
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नीरजा - आपण घडवलेल्या दंगली आणि र...
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निशा कोत्तावार - आपल्या अंगणात ममतेनं लावल...
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वर्जेश ईश्वरलाल सोलंकी - तुमची त्वचा चाटू शकतं कुण...
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लहू चव्हाण - जगण्याचं चित्र रेखाटण्यास...
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आनंद पेंढारकर - आई मला जग सारं पहायचं होत...
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किरण दशमुखे - ज्यांचं केंद्रच स्थिर नाह...
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मोहन शिरसाट - इथल्या मातीतून उगवलेले आम...
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बाबा चव्हाण - निसर्गाच्या करणीची आणि मा...
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मयूर बटावळे - भेदूनी काळोखाला कनकगोळ तो...
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वसंत वाहोकार - कवितेच्या नादी लागून कुणी...
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प्रकाश लावंड - सभोवती गर्दीचा दु:खी चेहर...
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चंद्रशेखर सानेकर - मुळीच नाही माझ्याविषयी सं...
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सतीश दराडे - कोणी न साव येथे, तूही दडू...
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अरुण म्हात्रे - जसे स्वप्न वळते तसा चालतो...
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प्रा. यशवंत माळी - सखी, तुझी, मडक्यात बंदिस्...
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भूषण कटककर - आई मेंढ्या हाकत आहे, पाप ...
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सुरेखा बोर्हाडे ( गायखे ) - स्वत:लाच शोधणार्या मग्न ...
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मीरा, बेळगाव - अबोध जाणीव किती नकळत स्वी...
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डॉ. स्मिता पाटील - उगमापाशी पुन्हा कधी ना पर...
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अनुराधा साळवेकर - इथं आता शिशिर सुरू झालाय ...
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शिवाजी सातपुते - ढेकणासारखी चिरडली जाताहेत...
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मैथिलीशरण गुप्त - प्रेमभाव दोन्हीकडे उमलतो ...
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रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ (१९०८-१९७४ ) - सागरतीरीच्या वाळूवर लिहिल...
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नरेंद्र शर्मा ( १९१३-१९८९ ) - काय तुला मी देऊ ? सांग प्...
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रमानाथ अवस्थी ( १९२६-२००२ ) - ऐसे कधी नाही घडत, घडणारही...
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धर्मवीर भारती (१९२६-१९९७ ) - अतिमुलायम रेशमी, मृदू स्प...
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रामावतार त्यागी - जिवलग माझी सखी विचारी प्र...
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श्रीरंग विष्णू जोशी - तुम्ही ज्ञानदेवा समाधीस्थ...
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प्रा. मोहन कुंभार - तुझी आदळआपट माझं कवितेवरच...
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प्रा. विठ्ठल सदामते - दु:खाच्या गा भिंती पाडाव्...
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गो. शि. म्हसकर - दुष्काळाने पोखरले बळीराजा...
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रंजना बार्हाळे - पहाटे पहाटे थंडीची पहिली ...
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इरण्णा निंबाळ - श्रमपंढरीचा एक श्रमिक मी...
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वीरा राठोड - हा माणूस किती विखारी होता...
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मधुरा बुटाले - परवा सकाळच्या घाई - गडबडी...
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प्रा. संजयकुमार बामणीकर - कसे आणि किती शोधावेत संदर...
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सुनीता काटम - नदीचा काठ जरास रुसलाय कर्...
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अनंत ढवळे - झुंडी निघाल्याहेत पेटते प...
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ज्ञानेश्वर बाविस्कर - कविता करायची होती एकदा मन...
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विजय सोपान कडाळे - आज सहा डिसेंबर आम्ही मिळू...
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अजय कांडर - हा कसला कचरा साठलाय मेंदू...
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केदार पाटणकर - वाटत असते तुला पहावे; पण ...
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वृंदा भांबुरे - ऊन्ह ढळे, नभ वितळे सावल्य...
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योगेश अशोकराव हांडगे - राजकारणात यशस्वी होण्यासा...
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डॉ. संगीता बर्वे, - वार्याला चढला ताप पानांन...
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प्रा. कविता म्हेत्रे - दावणीला बांधलेल्या गुरांच...
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रमण रणदिवे - उभे आयुष्य अभागी कर्ज फेड...
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अमृता खंडेराव - जंगलं किती छान असतात ती द...
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अनिल कांबळे, - जिथे सूर्य अंधारला दोस्त ...
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अर्जुन देशमुख - तिचे सांडतात डोळे, त्याने...
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अरुण सांगोळे - उगाच तारे मोजत बसतो काही ...
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शीतल बारी - किती प्रेम केलं तुझ्या सा...
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नलेश पाटील - तंबोर्याच्या तारेवरी कोक...
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योगेश वैद्य - लाटांसरशी नशीब माझे जरा स...
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किरण येले - बाई बनवते वेगवेगळे पदार्थ...
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खलील मोमीन - प्रेमाचे प्रतीक आकाश - धर...
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वैभव जोशी - मज आयुष्याचा माझ्या कळलेल...
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आरती देवगांवकर - इतकं काही बावरायला नकोय म...
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सुनीता झाडे - काही पाऊस अलवार कणाकणाला ...
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राजीव काळे - घन भिजे भिजे घन सावळा साव...
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ओंकार कुळकर्णी - आभाळ भरून दडे खास, अविरत ...
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मोहन कुंभार - मिरगाचा पाऊस रिमझिमाया ला...
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रवी कोरडे - तू दिसू लागतोस अवतीभोवती ...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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बालस्वरुप राही - पावलांना तीक्ष्ण काटेही स...
अनुवादितएकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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शमशेर बहादूर सिंह - माझ्यापाशी दाम नसे प्रेम ...
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भवानीप्रसाद मिश्र - ‘ सूर्य हा पृथ्वीचा पहिला...
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रघुवीर सहाय - प्रिय प्रेक्षकहो, ही जी ...
अनुवादितएकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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विश्वनाथप्रसाद तिवारी - काहीच नव्हतं बाहेर सगळं ...
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गिरिजाकुमार माथुर - आज या उदास संध्याकाळी मी ...
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सुभद्राकुमारी चौहान - खूपच झाले अंत पाहणे आण वा...
अनुवादितएकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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डॉ. सुनील लोंढे - शहराच्या मध्यवर्ती ठिकाणी...
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शंकर बडे - परवाच्या दिशी माही नात मल...
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प्रा. डॉ. वर्षा गंगणे - चुलीवरती फ़ुटक्या केला ने...
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विजय पुरव - बळी राजाची तू राणी तुझी ...
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गोविंद केळकर - हा कुठून येतो वारा ? सारख...
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विजय वाकडे - तीर्थरूप, काळाची फट वाढत ...
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संगीता जोशी - जे झाले ते उत्तम झाले दूर...
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दत्तप्रभू ताकमोडे - दारिद्र्याच्या कंठात अडकल...
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भाऊ शिगवण - पाऊसदादा, पाऊसदादा सांग न...
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जयश्री चुरी - पावसाच्या पहिल्या धारा घे...
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एकनाथ आव्हाड - कुठूनी हा आला, गार गार वा...
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श्रीधर नांदेडकर - अंधारून येतं अचानक आयुष्य...
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मंगला खंडागळे - सावळ्या रे मेघराजा तुझं ल...
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मैथिलीशरण गुप्त - प्रेमभाव दोन्हीकडे उमलतो ...
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रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ - सागरतीरीच्या वाळूवर लिहिल...
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नरेंद्र शर्मा - काय तुला मी देऊ ? सांग प्...
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रमानाथ अवस्थी - ऐसे कधी नाही घडत, घडणारही...
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धर्मवीर भारती - अतिमुलायम रेशमी, मृदू स्प...
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रामावतार त्यागी - जिवलग माझी सखी विचारी प्र...
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बालस्वरुप राही - पावलांना तीक्ष्ण काटेही स...
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शमशेर बहादूर सिंह - माझ्यापाशी दाम नसे प्रेम ...
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भवानीप्रसाद मिश्र - ‘ सूर्य हा पृथ्वीचा पहिला...
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रघुवीर सहाय - प्रिय प्रेक्षकहो, ही जी ...
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विश्वनाथप्रसाद तिवारी - काहीच नव्हतं बाहेर सगळं ...
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गिरिजाकुमार माथुर - आज या उदास संध्याकाळी मी ...
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सुभद्रकुमारी चौहान - खूपच झाले अंत पाहणे आण वा...
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उमाकांत मालवीय - बाहीचे ह्या तुटेबटण सदर्...
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रामनरेश पाठक - आज आहे चैत्रातली चांदणी र...
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रामदरश मिश्र - मी मागं ठेवून जाईन काही क...
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सदानंद डबीर - उठतील चार रेषा वार्यावरी...
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अविनाश पाटील - माझ्या घरासमोर उठला आहे ए...
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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना - संकटं झाकोळून येत आहेत अस...
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हेमंत दिवटे - कवितेच्या ओळींना चिकटलेला...
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कविता क्षीरसागर - ब्रशच्या एका फटकार्यात ...
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प्रेमाच्या गावा जावे - तुझ्या पापण्यांचं थरथरणं ...
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राजेंद्र देवी - दारी श्रावण दारी साजण......
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बाबू फिलीप डिसोजा - हळव्या पाऊलवाटेवर हळवे झा...
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अभिषेक अष्टेकर - आला पाऊस गावात झाली दिवसा...
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एकनाथ आव्हाड - झटकून टाकी मरगळ सारी श्रा...
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जयश्री हरि जोशी - पर्युत्सुक आषाढ घनांच्या ...
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मानसी राजेंद्र गोखले - आल्या आल्या सरी श्रावणाच्...
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डॉ. राम पंडित - कधी मी पुढं निघून जातो अन...
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वीणा पुरोहित - भाऊ मुर्हाळी दारात, जीव ...
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शिवबहादूरसिंह भदौरिया - बसू या जरा वेळ, ये तळ्याक...
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घनश्याम धेंडे - भक्त, भागवत, वारकर्यांति...
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अशोक मिरगे - नभ झाकळून आलं, तुझी लागली...
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नर्मदाप्रसाद खरे - तुझीच गीते गुणगुणते मी मू...
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अमन तांबोळी - आली आहाळाची माया प्रितीच...
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घाट माथा बरसणारा - अजूनी हवासा वाटतो रे गार ...
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प्रतिबिंब - आज गुलाबी पहाटे पहाटे पाह...
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महाभारत देशा - सुवर्ण रंगाच्या हरीत क्रा...
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सुभाष कवडे - महापूराच्या पाण्याने ठाण ...
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शरद गणेश अत्रे - वाटतं खूप खूप दूर फिरायला...
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महादेव बी. बुरूटे - घावात कुर्हाडिंच्या, फाट...
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प्रा. सौ. सुनंदा शेळके - तुळशीला पाणि घालताना व्हा...
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सौ. वंदना कुलकर्णी - स्त्री म्हणजे काय ? ती एक...
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सौ. मंजिरी सरदेशमुख - आरशाचा मला येतोय राग भर त...
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अरूण नवले - पावसाळी ढग पावसाळी हवा पा...
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कु. बालीका बिटले - जिवनाच्या वाटेवर न्याय आम...
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सौ. निर्मला मठपती - माझिया डोळा पहिले मी माझे...
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चि. राम विरभद्र संकाये - माझ्या जीवनात सुखाला काही...
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सौ. सुभद्रा नानासो गायकवाड. - जसा महापूर आला होता कृष्ण...
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डॉ. सयाजीराजे मोकाशी - वाट पाहत नभाची शेळ्या - म...
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डॉ. सौ. जयश्री पाटील - पहाटेच्या गं येळला कोंब्ब...
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विलास कदम - माझ्या मनातील मन तिला सम...
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प्रा. बी. एन. मोकाशी - कोणी नसे कुणाला, हुंकार द...
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पांडूरंग प्रभू माळी - निसर्गाचे देणे - समृद्धीच...
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संतोष पद्माकर पवार - ते वड नावाचं एक झाड आहे न...
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यामनी रानडे - पूर्वी आपलं घर कसं शांत श...
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जानकीवल्लभ शास्त्री - वाजवली मुरली कुणी ? जन्...
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मधुसूदन नानिवडेकर - वादळ आहे म्हणून काहे स्वप...
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चंचल काळे - ती खोली होती तशी ऐसपैस त...
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आरसी प्रसाद सिंह - चंद्र पाहाया हवी दृष्टी च...
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गौरवकुमार आठवले - काळ हा नाही तुझ्यासाठी बर...
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दीपाली पाटील - फुलं उमलली अगदी आपोआप फु...
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उदयभानू हंस - तू खुशाल म्हण, ` ही चंचलत...
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सुखदेव ढाणके - कसा दयावंत झालासे निष्ठू...
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प्रज्ञा घोडके - गजबज नसलेलं एक गाव आपल्या...
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भूपेंद्र नारायण यादव - या धरित्रीच्या कुशीत विसा...
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